राज़-ए-चश्म-ए-मय-गूँ है कैफ़-ए-मुद्दआ' मेरा ग़ैर की नज़र से है दूर मै-कदा मेरा वास्ते की ख़ूबी ने सहल मंज़िलें कर दीं हुस्न इश्क़ का रहबर इश्क़ रहनुमा मेरा कर दिया मुझे बे-ख़ुद उन की बे-नियाज़ी ने कह रहा हूँ ख़ुद उन से दिल सँभालना मेरा हाए ख़ौफ़-ए-बदनामी वाए फ़िक्र-ए-नाकामी बेवफ़ा के हाथों में हासिल-ए-वफ़ा मेरा लुत्फ़-ए-ख़ल्वत-ओ-जल्वत हम न पा सके लेकिन धूम हर तरफ़ उन की ज़िक्र जा-ब-जा मेरा तर्ज़-ए-वालिहाना की दाद कब मिली मुझ को नाज़-ए-दोस्त कब निकला सूरत-आश्ना मेरा सोचने लगेगी कुछ तेरी ख़ुश-निगाही भी राएगाँ न जाएगा यूँ ही देखना मेरा मैं ने जब कभी देखा सर झुका लिया तू ने तू ने जब कभी देखा दिल तड़प गया मेरा इशरत-ए-हिजाब अज़-ख़ुद चारासाज़-ए-दिल क्या हो साज़ हो जब ऐ ज़ालिम सोज़-आश्ना मेरा मेरी ख़स्ता-हाली ने सई-ए-ख़ुद-शनासी की उन की ख़ुद-नुमाई ने जब किया गिला मेरा है जो हज़रत-ए-'मंज़ूर' ए'तिबार-ए-ईं-ओ-आँ इज़्न-ए-बे-ख़ुदी ले कर पूछिए पता मेरा