अंधेरा झेल लेता हूँ सितारे छोड़ देता हूँ मैं तूफ़ाँ भाँप कर फिर भी किनारे छोड़ देता हूँ मुझे तन्हा ही रहना है किसी से कुछ नहीं कहना जो दिल बेज़ार हो जाए तो सारे छोड़ देता हूँ ज़ियादा देर दिल इक काम में टिक कर नहीं लगता मैं पिंजरा खोल देता हूँ ग़ुबारे छोड़ देता हूँ बहुत बातें बनाता हूँ मैं काफ़ी बोलता भी हूँ मगर जो गुफ़्तुगू हो तेरे बारे छोड़ देता हूँ किसी का क़र्ज़ काँधे पर उठाने से मैं डरता हूँ मैं क़स्दन डूब जाता हूँ सहारे छोड़ देता हूँ