अँधेरी शब हवा है और मैं हूँ मिरा बुझता दिया है और मैं हूँ तुम्हें इक आइना है और तुम हो मुझे सब आइना है और मैं हूँ वही मेरी जराएम में असीरी वही मेरी सज़ा है और मैं हूँ तलाश-ए-ज़ात ने भटका दिया है अब इक ज़ेहनी ख़ला है और मैं हूँ किसी अंधे कुएँ में हूँ मैं 'ख़ालिद' बस इक मेरी सदा है और मैं हूँ