वक़्त कम फ़ासला ज़ियादा है हिज्र का रास्ता ज़ियादा है मरहले और भी बहुत हैं मुझे आख़िरी मरहला ज़ियादा है ज़ात से एक जंग जारी है और ये मा'रका ज़ियादा है हम-सफ़र एक भी नहीं मेरा हाँ मगर क़ाफ़िला ज़ियादा है वस्ल कोहना शराब जैसा है नश्शा कम ज़ाइक़ा ज़ियादा है इन किताबों में बस यही है कमी ज़ीस्त कम फ़ल्सफ़ा ज़ियादा है रात सदियों से है मुहीत-ए-अबद और ये अलमिया ज़ियादा है इक त'अल्लुक़ जो तुझ से था जानाँ उस से कुछ सिलसिला ज़ियादा है मसअले और भी बहुत हैं मगर दर्द का मसअला ज़ियादा है