वक़्त ये कैसा आया है क़द से ऊँचा साया है क्या क्या हम ने खोया है क्या क्या हम ने पाया है उल्टी सीधी बातों में सारा वक़्त गँवाया है कितनी बातें भूलीं तो याद हमें कुछ आया है बे-पर उड़ने लगे हैं लोग ईश्वर तेरी माया है कैसे कैसे लोगों को हम ने नंगा पापा है तन्हा तन्हा कमरे में सन्नाटा अपनाया है देख के सुर्ख़ गुलाबों को वो चेहरा याद आया है