अँधेरों को मिटाने का इरादा हम भी रखते हैं कि हम जुगनू हैं थोड़ा सा उजाला हम भी रखते हैं अगर मौक़ा मिला हम को ज़माने को दिखा देंगे हवा का रुख़ बदलने का कलेजा हम भी रखते हैं शब-ए-ग़म की सहर जाने मयस्सर कब हमें होगी किसी के दिल में बसने की तमन्ना हम भी रखते हैं हमारी शायरी में पाओगे तुम 'मीर' सी लज़्ज़त रिवायत को निभाने का सलीक़ा हम भी रखते हैं हमारे पास भी है इक नए फ़ीचर का मोबाइल 'अजय' देखो तो मुट्ठी में ज़माना हम भी रखते हैं