अन-सुनी करता नहीं उस को सुना कर देखना हौसला रख कर ख़ुदा को सच बता कर देखना मुंतज़िर तेरी निगाहें रूह भी बेचैन कुछ है हसीं ये ज़िंदगी तू दिल लगा कर देखना ऐ ख़िज़ाँ चुन ले ज़रा अब आशियाँ अपना कहीं रूह में यादें बसी हैं सर झुका कर देखना है यही फ़रियाद तुझ से आबशार-ए-ज़िंदगी ख़ुश रहे आलम 'अधर' ख़ुद को मिटा कर देखना