अपना रस्ता बदल के देख तो लो तुम मिरे साथ चल के देख तो लो घर से बाहर वही है वीरानी घर से बाहर निकल के देख तो लो आसमानों में होंगी परवाज़ें गिरने वालो सँभल के देख तो लो दिल की महफ़िल में चाँद उतरेंगे ग़म के शो'ले निगल के देख तो लो ज़ुल्म सह कर भी 'फ़ैज़' चुप क्यों हो कुछ शरारे उगल के देख तो लो