अपने फ़न की कोई तासीर दिखा पानी में उस के लहजे की तरह हर्फ़ सजा पानी में सादगी तेरी यहाँ कौन समझ पाएगा बात कुछ ऐसे बिना आग लगा पानी में इक नज़र पड़ते ही फ़ितरत भी बदल जाती है कैसी तासीर है इस घर के हवा पानी में हश्र तक ख़ैर का सामान हुई सब के लिए तेरे यूनुस ने पढ़ी ऐसी दुआ पानी में रंग तस्वीर में ऐसा न सजा पाया कोई चाँदनी रात का जो अक्स बना पानी में लाख तैराक है मौजों पे हुकूमत है मगर तैरने वाला ही पाता है दग़ा पानी में मोतियों के लिए पानी में गया था 'शाहिद' हाथ तो क्या ही लगा जाँ से गया पानी में