अपनी आवाज़ को औरों से मिलाने वाले तेरी पहचान मिटा देंगे ज़माने वाले मेरे ख़्वाबों से तिरा कोई त'अल्लुक़ ही नहीं क्यों परेशान है ता'बीर बताने वाले मकड़ियाँ अब न दहानों पे बुनेंगी जाला ग़ैर महफ़ूज़ हैं सब ग़ार में जाने वाले अपने विर्से के चराग़ों को जलाते ही नहीं ख़्वाहिश-ए-नूर भी रखते हैं ज़माने वाले सानेहा एक ही लम्हे के लिए आता है उम्र कट जाएगी वो लम्हा भुलाने वाले किस तरह अपनी मसाफ़त को मुकम्मल करता उस से आगे थे निशाँ उस को मिटाने वाले उस की पलकें न छलक आएँ जवाबन 'शाहिद' इस लिए अश्क छुपाते हैं हँसाने वाले