अपने घर उस ने बात की थी मिरी और फिर शामत आ गई थी मिरी चाँद इक बाम पर उतर गया था और वो रात आख़िरी थी मिरी क्या करूँ उस के हाथ कट गए थे जिस के हाथों में ज़िंदगी थी मिरी पाँव चादर से बाहर आ रहे थे ख़्वाहिश औक़ात से बड़ी थी मिरी हाथ वो कल किसी के हाथ में था और उस हाथ में घड़ी थी मिरी