बहुत सताया है मुझ को ज़रा सी जा के लिए और इस पे ज़िंदगी ने दाम भी दबा के लिए मैं जाने को कहाँ कहता पर इन ग़मों से कहो ज़रा सा रास्ता तो छोड़ दें हवा के लिए तड़प रहा है कई रोज़ से दिल-ए-बीमार दो बोल चाहिए थे आप से दवा के लिए मैं ज़िंदगी तिरी किट किट से तंग आ गया हूँ तू अपना मुँह तो ज़रा बंद रख ख़ुदा के लिए तिरे जवाब ने साकित ही कर दिया है मुझे ज़बान खुलती न हाथ उठते हैं दुआ के लिए