अपने शे'रों में रख शरारे कुछ कुछ किनाए भी और इशारे कुछ कुछ ख़यालों का इख़्तिलाफ़ सही आप के कुछ हैं और हमारे कुछ पेश-बीनी तिरी बजा ज्योतिष कह रहे हैं मगर सितारे कुछ शाम तन्हाई जाम उन की याद ऐसे में शेर भी पधारे कुछ अक़्ल-ओ-दानिश के देवता अब के भक्त आए हैं तेरे द्वारे कुछ इश्क़ के मुख़्तलिफ़ हैं पैमाने फ़ैज़ पहुँचाते हैं ख़सारे कुछ 'मीर' से मुस्तआ'र हैं 'आकिब' तेरी ग़ज़लों के इस्तिआ'रे कुछ