अपनी आँखों को नम करें कैसे लज़्ज़त-ए-दर्द कम करें कैसे जो तसल्ली भी दे नहीं सकते उन से इज़हार-ए-ग़म करें कैसे उन की फ़ितरत में बेवफ़ाई है फिर वो हम पे करम करें कैसे हुस्न-ए-मग़रूर की अदाओं पर दिल को क़ुर्बान हम करें कैसे जिन पे है वक़्त ने सितम ढाए वो किसी पे सितम करें कैसे जिन के मा'नी ही कुछ नहीं होते ऐसे अल्फ़ाज़ ज़म करें कैसे मौत आती है एक दिन 'फ़ानी' आज ही उस का ग़म करें कैसे