ऐ मिरी जान-ए-ग़ज़ल By Ghazal << अपनी आँखों को नम करें कैस... ज़िंदगी नग़्मा-सरा हो जाए >> ऐ मिरी जान-ए-ग़ज़ल तू है अरमान-ए-ग़ज़ल ये तिरा हुस्न-ए-अदा बिल-यक़ीं शान-ए-ग़ज़ल ये तिरा अक्स-ए-हसीं क़स्र-ओ-ऐवान-ए-ग़ज़ल ज़ुल्फ़ है काली घटा या है ज़िंदान-ए-ग़ज़ल फूल सा तेरा बदन लुत्फ़-ए-उनवान-ए-ग़ज़ल Share on: