दयार-ए-ग़ैर में अपने दयार की बातें हों जैसे अहद-ए-ख़िज़ाँ में बहार की बातें जहान-ए-इश्क़ में अहल-ए-दिमाग़ मत ढूँडें सुकून-ए-क़ल्ब की बातें क़रार की बातें हज़ार फ़ित्नों का मस्कन है सीना-ए-आदम रुमूज़-ए-अहरमन-ओ-किर्दगार की बातें कशाकश-ए-ग़म-ए-दुनिया से जब मिलेगी नजात करेंगे गेसू-ओ-रुख़्सार-ए-यार की बातें मिरा दिमाग़ भी मजबूर दिल भी है मजबूर मैं किस ज़बाँ से करूँ इख़्तियार की बातें 'क़मर' हमीं से हैं शेर-ओ-अदब के हंगामे करोगे याद ग़रीब-उद-दयार की बातें