अपनी हर वज़्अ हर इक ढंग बदलने के लिए कौन आएगा मिरे संग बदलने के लिए सब के लहजे में वो तब्दीलियाँ आई हैं कि आज मैं भी मजबूर हूँ आहंग बदलने के लिए छोड़ कर जी नहीं पाऊँगा मैं अपनी बुनियाद क्यों करे कोई मुझे तंग बदलने के लिए ज़िक्र क्यों आता है उस का मिरे अहबाब के साथ जो है मशहूर फ़क़त रंग बदलने के लिए चंद लफ़्ज़ों का असासा भी नहीं जिस के पास वो भी आमादा है फ़रहंग बदलने के लिए हाथ में जिन के तराज़ू है नहीं हैं तय्यार किसी क़ीमत पे भी पासंग बदलने के लिए अपनी हर चीज़ बदल भी नहीं सकती 'शाहिद' लाख मैं ख़ुद से करूँ जंग बदलने के लिए