अपनी मिट्टी से यूँ जुड़े हुए हैं चल रहे हैं मगर रुके हुए हैं दाएरों में सफ़र किया हम ने हम जहाँ थे वहीं खड़े हुए हैं ख़ुद को अनमोल कहने वाले हम एक पल के एवज़ बिके हुए हैं झूटी उम्मीद मत दिलाओ हमें इन वफ़ाओं के हम डसे हुए हैं तुम जहाँ छोड़ कर गए थे हमें हम उसी मोड़ पर खड़े हुए हैं