अपनी मोहब्बतों का ये अच्छा सिला मिला जो भी मिला मुझे वो मुझी से ख़फ़ा मिला तुझ से बिछड़ के भी मैं न तुझ से बिछड़ सका जिस राह पर गया मैं तिरा नक़्श-ए-पा मिला अहल-ए-करम की भीड़ से गुज़री है ज़िंदगी तुझ सा मगर कोई न करम-आश्ना मिला दुनिया जफ़ा-शिआ'र रही है ये सच सही ऐ रह-नवर्द राह-ए-वफ़ा तुझ को क्या मिला इस को क़ुयूद-ए-अक़्ल ने दीवाना कर दिया बाहर मिला मुझे तो वो अच्छा-भला मिला ख़ुशियाँ मिलीं तो आँख झपकने की देर तक ग़म जो मिला मुझे वो बहुत देर-पा मिला इस मुख़्तसर हयात में किस किस को रोइए हर मरहला हयात का सब्र-आज़मा मिला नादीदा इक कशिश है नहीं जिस का कोई नाम दिल से निगाह तक इक अजब सिलसिला मिला बे-ए'तिनाइयों से मिली ताब-ए-ज़ब्त-ए-ग़म तेरी नवाज़िशों से मुझे हौसला मिला तेरा करम है तेरी इनायत है ऐ जुनूँ मैं जिस को ढूँढता था मुझी में छुपा मिला 'क़ादिर' बहुत निहाल है अपनी शिकस्त पर बाज़ी लगाई दिल की तो उस का मज़ा मिला