अरूज़-ए-आगही है और मैं हूँ बस इक दीवानगी है और मैं हूँ ग़म-ए-शाइस्तगी है और मैं हूँ कबीदा-ख़ातिरी है और मैं हूँ जुनून-ए-रहबरी है और तुम हो नशात-ए-गुमरही है और में हूँ ब-ज़ाहिर लोग मेरे हम-नवा हैं ब-बातिन बद-ज़नी है और मैं हूँ 'ज़िया' ये भी अजब दुनिया है जिस में फ़रेब-ए-दिल-दही है और मैं हूँ