जुनून-ए-दिल को किसी का भी ए'तिबार नहीं हूँ बे-क़रार मगर ख़्वाहिश-ए-क़रार नहीं है काएनात में हम से फ़रोग़-ए-रंग-ए-बहार मगर हयात में अपनी ज़रा बहार नहीं न छेड़ प्यार के नग़्मे ऐ अंदलीब-ए-चमन कि रंग गुलशन-ए-हस्ती का साज़गार नहीं तुफ़ैल है ये उन्हीं का कि हम को तोहफ़े में वो बे-हिसाब मिले ग़म कि कुछ शुमार नहीं 'असद' खुला न कभी राज़-ए-ज़िंदगी अब तक ये उक़्दा खोले कोई ऐसा होशियार नहीं