ज़ख़्म-ए-दिल हो गए नासूर तुम्हें क्या मा'लूम तुम तो हो मुझ से बहुत दूर तुम्हें क्या मा'लूम मेरे होंटों के तबस्सुम पे न जाना हरगिज़ हाल-ए-बर्बादी-ए-मजबूर तुम्हें क्या मा'लूम कब सितारों का जहाँ हो गया तारीक नज़र चाँदनी कब हुई बे-नूर तुम्हें क्या मा'लूम रोज़-ओ-शब किस पे बरसते हैं सितम के पत्थर दर्द से कौन हुआ चोर तुम्हें क्या मा'लूम कितने आलाम-ओ-मसाइब से गुज़रता हूँ मैं इश्क़ के क्या क्या हैं दस्तूर तुम्हें क्या मा'लूम क्या बताओगे 'असद' टूट के क्या बिखरा है तुम तो हो आज भी मख़्मूर तुम्हें क्या मा'लूम