दुनिया से तअ'ल्लुक़ तो निभाना ही पड़ेगा हम क्या हैं ज़माने को बताना ही पड़ेगा ये लोग समझते हैं कहाँ रम्ज़-ओ-किनाया उस्लूब नया कोई बनाना ही पड़ेगा कुछ देर मिरी आँख में तू जाग रहा है कुछ देर सितारों को जगाना ही पड़ेगा फेंका था जिसे हम ने कभी खोटा समझ कर लगता है वो सिक्का भी चलाना ही पड़ेगा मालूम तो हो कौन है अब मेरा वफ़ादार इक रात चराग़ों को बुझाना ही पड़ेगा जिस आँख में हर-वक़्त चमकते हैं सितारे उस आँख से इक ख़्वाब चुराना ही पड़ेगा