गाँव में जितने दिन गुज़ारे थे फूल थे ख़्वाब थे सितारे थे सुब्ह के दोपहर के शामों के सारे मौसम बहुत ही प्यारे थे हर गली में चराग़ जलते थे हर क़दम पर नए इशारे थे कुछ तमन्ना की सब्ज़ झीलें थीं कुछ मोहब्बत के इस्तिआ'रे थे हम उसी रास्ते पे चलते रहे ख़्वाब जिस रास्ते पे हारे थे जो तिरे साथ सैर में गुज़रे वही दो चार दिन हमारे थे