दिल पे लगता है मोहब्बत का इजारा कम है ख़ाक में सू-ए-फ़लक जाने का यारा कम है इन सितारों से परे ख़्वाबों को छूने के लिए फ़ासला इतना है ये उम्र दोबारा कम है डूबता जाऊँ तिरी याद के दरिया में कहीं पानी गहरा है मोहब्बत में किनारा कम है शब के भटके हुए मौसम में कोई सम्त-नुमा ढूँड लाओ कि फ़क़त एक सितारा कम है पहले लाज़िम है कि इस बहर के पैराक बनो जो भी डूबा है उसे दिल ने उभारा कम है