अश्कों की बरसातें ले कर लोग मिले ग़म में भीगी रातें ले कर लोग मिले पूरी एक कहानी कैसे बन पाती क़तरा क़तरा बातें ले कर लोग मिले भर पाते नासूर दिलों के कैसे जब ज़हर बुझी सौग़ातें ले कर लोग मिले अब ग़ैरों से क्या शिकवा करने जाएँ अपनों को ही मातें दे कर लोग चले आशिक़ का टूटा दिल कोई क्यों देखे जब अपनी बारातें ले कर लोग मिले