असीर-ए-दहर को इस की ख़बर रहे न रहे ये शब रहे न रहे ये सहर रहे न रहे बदल गईं यहाँ क़द्रें ख़ुलूस-ओ-उल्फ़त की वफ़ा-ए-अहल-ए-जुनूँ मो'तबर रहे न रहे भरम निगाह का जिस दीदा-वर से क़ाएम है तुम्हारी बज़्म में वो दीदा-वर रहे न रहे सिला वफ़ा का मिला क्या वफ़ा को देखने को किसी नज़र में वो ताब-ए-नज़र रहे न रहे सफ़र तो उम्र का तय करना ही पड़ेगा हमें सफ़र में चाहे कोई हम-सफ़र रहे न रहे बदल न दें रुख़-ए-ग़म हादसात-ए-वक़्त कहीं ग़म-ए-हबीब भी अब मो'तबर रहे न रहे है गरचे रौशनी-ए-शम्अ रात भर की बात 'ज़ुबैर' किस को ख़बर रात-भर रहे न रहे