किस को दिखलाएँगे वो नाज़-ओ-अदा मेरे बा'द होगी किस पर ये भला मश्क-ए-जफ़ा मेरे बा'द देखिए आप भी अफ़्सुर्दा रहेंगे अक्सर यार आ जाएगी जब मेरी वफ़ा मेरे बा'द ज़ीनत-ए-हुस्न बढ़ी ख़ून-ए-जिगर से मेरे फीका पड़ जाएगा ये रंग-ए-हिना मेरे बा'द बारहा अर्श-ए-बरीं नाला-ए-शब से काँपा अर्श तक जाएगी कब आह-ए-रसा मेरे बा'द मैं चला जाऊँगा महफ़िल से न हों आप ख़फ़ा किस पे फिर होंगे मगर आप ख़फ़ा मेरे बा'द नौ-गिरफ़्तार-ए-बला होगा न मुझ सा कोई कौन चाहेगा तुझे ज़ुल्फ़-ए-दोता मेरे बा'द उठ गया आलम-ए-फ़ानी से ये कह कर 'असलम' देखिए किस की अब आती है क़ज़ा मेरे बा'द