और वहशत है इरादा मेरा हक़ है सहरा पे ज़ियादा मेरा तो यही कुछ है वो दुनिया यानी एक मतरूक इरादा मेरा रात ने दिल की तरफ़ हाथ बढ़ाए ये सितारा भी है आधा मेरा आबजू मैं तो चला जल्दी है इक समुंदर से है वादा मेरा धूल उड़ती है तो याद आता है कुछ मिलता-जुलता था लिबादा मेरा