ब-सूरत-ए-सज़ा दिए गए हैं हम हमीं को बे-बहा दिए गए हैं हम नवेद हो ऐ हाकिमा नवेद हो सुबूत थे मिटा दिए गए हैं हम हमारी ख़ाक पोटली में बंद थी बहाव में बहा दिए गए हैं हम वो हुस्न को जो आग की लपेट था ब-सूरत-ए-हवा दिए गए हैं हम ज़ियाँ-पसंद शहर के चराग़ थे सो दिन में ही जला दिए गए हैं हम तुम्हें क़ुबूल हो तुम्हारा तख़लिया ख़याल से उठा दिए गए हैं हम