बात हम जब भी साफ़ करते हैं लोग क्यों इख़्तिलाफ़ करते हैं क़ाबिल-ए-एहतिराम हैं वो लोग दुश्मनों को मुआ'फ़ करते हैं बोलते जब हैं फूल से लहजे पत्थरों में शिगाफ़ करते हैं रश्क आता है ऐसे चेहरों पर जिन का शीशे तवाफ़ करते हैं हौसला ख़ूब है चराग़ों को जंग हवा के ख़िलाफ़ करते हैं मैं ने बख़्शी है ज़िंदगी फ़न को अहल-ए-फ़न ए'तिराफ़ करते हैं दिल है 'दानिश' फ़क़ीर का हुजरा ग़म यहाँ एतकाफ़ करते हैं