बात कुछ है बयान में कुछ है ज़ेहन में कुछ ज़बान में कुछ है दिल मचलता है आज़माइश को शायद उस की कमान में कुछ है हुस्न-ए-महबूब क्या बयाँ कीजे आन में कुछ है आन में कुछ है हम ने दिल तुम को दे दिया जानाँ क्या तुम्हारे भी ध्यान में कुछ है क्यों वो करने लगे हया हम से उम्र की इस उठान में कुछ है आप बेचैन हैं हमारी तरह प्यार सा दरमियान में कुछ है धार रखता है फिर वो ख़ंजर पर फ़ित्ना उस के धियान में कुछ है बेवफ़ा पर न जान दे 'ज़ाकिर' जान ही से जहान में कुछ है