बात में बात पैदा कर देना ऐ ख़ुदा मुझ को ये हुनर देना एक मेरा नहीं ज़माने में कासा-ए-रिज़्क़ सब का भर देना हर तरफ़ तू ही तू नज़र आए ऐ ख़ुदा मुझ को वो नज़र देना दुश्मनों के दिलों को मोम करें मेरी बातों में वो असर देना जो हैं मजबूर उन को ऐ मौला साहब-ए-इक़्तिदार कर देना हौसला अज़्म और सब्र-ओ-रज़ा दामन-ए-ज़िंदगी में भर देना ये दुआ है कि ऐ ख़ुदा-ए-रहीम पुरकशिश मेरी ज़ात कर देना दिल करेगा ग़मों से समझौता मुझ को 'मक़्सूद' ये ख़बर देना