बचपन का दौर अहद-ए-जवानी में खो गया ये अम्र-ए-वाक़िआ' भी कहानी में खो गया लहरों में कोई नक़्शा कहाँ पाएदार है सूरज के बा'द चाँद भी पानी में खो गया आँखों तक आ सकी न कभी आँसुओं की लहर ये क़ाफ़िला भी नक़्ल-ए-मकानी में खो गया अब बस्तियाँ हैं किस के तआ'क़ुब में रात-दिन दरिया तो आप अपनी रवानी में खो गया 'ताबिश' का क्या कहें कि वो ज़ोहरा-गुदाज़ शख़्स आतिश-फ़िशाँ का फूल था पानी में खो गया