बद-बख़्ती में सब बे-मोल हीरे चुन या मोती रोल ख़्वाबों की ता'बीरें ढूँड सूरज निकला आँखें खोल सहरा सहरा फूल खिला दरिया दरिया ज़ह्र न घोल तल्ख़-नवाई ठीक नहीं बोल हमेशा मीठे बोल कौन यहाँ तुझ सा ख़ुद्दार तू दरवेश-ए-बे-कश्कोल जो करना है जल्दी कर करता क्यों है टाल-मटोल चुप चुप शादी शादी क्या शहनाई ताशे न ढोल तू उस्तादों का उस्ताद तेरे शे'र में क्यों है झोल आँखें नर्गिस होंट कँवल बात तुम्हारी है अनमोल ग़ीबत करना ठीक नहीं हिम्मत है तो मुँह पर बोल पर्दा-दारी नेकी है भाई 'अंजुम' भेद न खोल