बढ़ कर किसी से हाथ मिलाने नहीं गए तेवर वही हैं अब भी पुराने नहीं गए दालान अपनी छान के बैठे तमाम उम्र चक्कर किसी महल का लगाने नहीं गए जब भी गए तो बैठ गए पाँव के तले ग़लती से भी बड़ों के सिरहाने नहीं गए महफ़िल में तेरी शोर है मेरे ही नाम का जाने के बाद भी वो फ़साने नहीं गए अपने हुनर से 'शम्स' थे जुगनू थे जो भी थे फोटो किसी के साथ खिंचाने नहीं गए