बड़ी गुदाज़ पशेमानियों पे ज़िंदा रहे हम अपने ख़्वाब की वीरानियों पे ज़िंदा रहे उन्हें लगा था कि ये लोग मारे जाएँगे सुनहरे लोग हरे पानियों पे ज़िंदा रहे सुकून बाँटने वाले ने मेरे हक़ में कहा उसे कहो कि परेशानियों पे ज़िंदा रहे तुम उस के होंट-पियाले के ज़ाइक़े पे मरे हम उस की आँख की हैरानियों पे ज़िंदा रहे