बहुत बिगड़ा हुआ है दोस्तो घर का निज़ाम अपना ये बस ऊपर ही ऊपर देख लो सब टीम टाम अपना नहीं देता न दे ऐ साक़ी-ए-महफ़िल तू जाम अपना यहाँ बीड़ी के अध्धों से भी चल जाता है काम अपना निकलवाया मुझे महफ़िल से धक्के दे के ज़ालिम ने नज़र आया है बरसों बाद ये आली मक़ाम अपना ख़ुदा के वास्ते लोगो बचा लो अपने भारत को हमारे देश-भक्तों से कहो समझें मक़ाम अपना अभी कड़की में हैं अहबाब कतरा कर निकलते हैं जो दिन पलटे तो फिर सब ही करेंगे एहतिराम अपना तवाज़ो करते करते एक दिन वो ख़ुद-कुशी कर ले किसी के घर पे इतने दिन न फ़रमाओ क़ियाम अपना न चाय आई न पान आए न वो आए यहाँ 'दिलकश' यही आदाब-ए-महफ़िल हैं तो महफ़िल को सलाम अपना