बैठे-बिठाए होश हुए गुम देख के उन होंटों पे तबस्सुम ख़ंदा-गुल की बातें सुन कर आ ही गया कलियों को तबस्सुम हुस्न-ए-तग़ाफ़ुल अल्लाह अल्लाह जैसे हम को भूल गए तुम ख़ूब है तेरा दीवाना भी आँख में आँसू लब पे तबस्सुम दोनों हैं अशआ'र-ए-'तरब' में लुत्फ़-ए-तग़ज़्ज़ुल कैफ़-ए-तरन्नुम