बज़्म-ए-सुख़न है और सुख़न-दाँ नए नए महफ़िल में आज आए हैं मेहमाँ नए नए किन मंज़िलों की ताक में ये कारवान-ए-ज़ीस्त राहें नई नई हैं गुलिस्ताँ नए नए बिल्कुल ग़लत है कौन ये कहता है वज्द में मिलते नहीं जुनूँ को बयाबाँ नए नए साक़ी ज़रा नज़र तू उठा देख बज़्म में पीने को आज आए हैं मेहमाँ नए नए जब तक है साँस हौसला बाक़ी रहे मिरा ढूँडा करूँगा दर्द के दरमाँ नए नए मुस्कान अब्रूओं के इशारे सलाम-ए-इश्क़ कैसे उठाए जाएँगे एहसाँ नए नए क्या ग़म जो अजनबी है ज़रा गुफ़्तुगू 'सहर' उन के लिए तो आप हैं मेहमाँ नए नए