बंद है क़िस्मत का दरवाज़ा दस्तक आई खिड़की से चाँदनी आई चाँद से मिलने और मुस्काई खिड़की से सूने दिल में धूम मची है ख़ुशियों की बारात सजी मुझ से मिलने वो आए हैं आहट पाई खिड़की से झील की जैसी इन आँखों को चूमने का दिल करता है दिल के आँगन में जाने की राह बनाई खिड़की से दिन का सूरज रात को निकला मौसम भी बदला बदला धूप ने अपना हाथ बढ़ा कर नींद चुराई खिड़की से काग़ज़ के दो फूल खिले हैं ख़ुशबू फैली कमरे में 'नाज़' बहारों की ये रुत भी फाँद के आई खिड़की से