बरसों मैं कहाँ क़ैद रहा पूछ के देखूँ किस ने मुझे आज़ाद किया पूछ के देखूँ दोहराई गई कब मिरे पीछे वो कहानी था कौन जो उन्वान बना पूछ के देखूँ समझा था कि तन्हा हूँ मगर साथ था कोई हमराह मिरे कौन रहा पूछ के देखूँ ऐसा जो तिरे नाम से पहचान ले मुझ को क्या शहर में कोई न रहा पूछ के देखूँ क्यों देते हैं सूली मिरे हम-ज़ाद को ये लोग क्या उस ने भी सच बोल दिया पूछ के देखूँ अंगारे उठा लाए थे जो फूल समझ कर उन लोगों का क्या हाल हुआ पूछ के देखूँ गुमराह किया है मुझे उस शख़्स ने हर बार अब ख़ुद से ज़रा अपना पता पूछ के देखूँ