उस के आगे हाल दिल का अन-कहा रह जाएगा क़ुर्बतों के दरमियाँ भी फ़ासला रह जाएगा रुत ज़रा बदली तो उड़ जाएँगी सब मुर्ग़ाबियाँ तू अकेला सब्ज़ा-ज़ारों में खड़ा रह जाएगा वो गुज़र जाएगा झोंके की तरह दहलीज़ से और शहर-ए-दिल में आशोब-ए-हवा रह जाएगा तू न कर पाएगा उस को रोकने का हौसला भीगी आँखों से उसे बस देखता रह जाएगा एक दिन हालात उस को दूर कर देंगे 'मतीन' तेरे इस सूने मकाँ में रतजगा रह जाएगा