बरसों से ख़यालों में इक छोटी कहानी है हर बात नई लेकिन इक बात पुरानी है अफ़्साना तबाही का लफ़्ज़ों में लिखूँ क्यूँकर कुछ कहता हूँ आँखों से कुछ दिल की ज़बानी है इक रूप समाया है जिस दिन से ख़यालों में हर दिन है हसीं मेरा हर रात सुहानी है दौलत ये मिली मुझ को हालात के हाथों से एक ज़ख़्म पुराना है इक दर्द निहानी है अरमानों के मेले में जो दर्द मिला मुझ को 'तस्कीन' समझता हूँ उल्फ़त की निशानी है