बस एक इश्क़ वाली कहानी निकाल कर बचता ही क्या है यार जवानी निकाल कर वो बद-नसीब लोग बड़े बद-नसीब लोग प्यासे रहे ज़मीन से पानी निकाल कर बैठे हुए हैं सुब्ह से अफ़सोस में यूँही तस्वीर कोई अपनी पुरानी निकाल कर अब लोग लिख रहे हैं मोहब्बत की दास्तान मलबे से मेरे उस की निशानी निकाल कर इक बादशाह-ए-वक़्त को हम ने शिकस्त दी बस उस की दास्तान से रानी निकाल कर 'इरफ़ान' लग रहा है ये ठहराव में मगर ठहरा कभी है दरिया रवानी निकाल कर