दुख के आलम में भी बस एक सहारा दुख है ख़ुश तो बस यूँ हैं के इस बार तुम्हारा दुख है जीत कर लाओ तो ख़ुशियों का सबब बनता है हार जाओ तो मिरे यार सितारा दुख है आसमाँ वालों ने उस बार भी दुख भेजा था आसमाँ वालों ने अब के भी उतारा दुख है तेरे हाथों ने जो थामा है किसी और का हाथ मेरी आँखों को यही एक नज़ारा दुख है घर की ता'मीर को बस रेत मयस्सर हो जिन्हें ऐसे लोगों को ये दरिया का किनारा दुख है हम से इंकार-ए-मोहब्बत का भला कब तक हो उस के चेहरे पे अयाँ साफ़ हमारा दुख है ऐसी हालत में तो मर जाते हैं अच्छे अच्छे हम ने जिस हाल में इस बार गुज़ारा दुख है हम ने इस बार पलट कर नहीं देखा उस को उस ने इस बार मिरा नाम पुकारा दुख है दोनों को एक ही ज़ुमरे में रखा है 'इरफ़ान' हम ने ख़ुशियाँ न सँवारी न सँवारा दुख है