बस एक नज़र चश्म-ए-आहू-ए-ख़ुतन वालो हूँ गुंचा-ए-पज़मुर्दा शादाब चमन वालो हक़दार-ए-ज़कात-ए-हुस्न अरबाब-ए-मोहब्बत हैं सोने सी जबीं वालों चाँदी से बदन वालो ऐ काश कहानी ही सुन लो ग़म-ए-उल्फ़त की शफ़्फ़ाफ़ जबीनों पर बे-वज्ह शिकन वालो हैं दिल में निहाँ कितने ख़ुर्शीद-नुमा चेहरे मग़रूर न हो इतना सूरज की किरन वालो हर दाग़-ए-जिगर चमका जब रात ढली अपनी तुम याद बहुत आए ग़ुर्बत में वतन वालो मेआ'र-ए-सुख़न परखो आराइश-ए-फ़न देखो गाओ ये ग़ज़ल मेरी ऐ पाक दहन वालो बातिन भी जो दिखला दे ज़ाहिर की तरह ऐ बर्क़ आईना कोई ऐसा मुमकिन हो तो बनवा लो