बस ख़याल आता है अपने इश्क़ की तश्हीर का वर्ना दुनिया देखती जल्वा दिल-ए-दिल-गीर का बेकसी कर्ब-ओ-तनफ़्फ़ुर ढोंग है तफ़कीर का मेरा होना ख़ुद मुख़ालिफ़ है तिरी तन्कीर का हरकतों पर ही अगर है बरकतों का इंहिसार क्यों तमाशा देखते बैठे रहें तक़दीर का साँप बन कर लोटती हैं ख़्वाहिशें दिल पर मिरे मर्सिया लिखता नहीं मैं सुस्ती-ए-तदबीर का दावत-ए-सद-ऐश इधर और फ़ित्ना-ए-गेसू उधर उस की अंगड़ाई है नक़्शा वादी-ए-कश्मीर का सैल-ए-ग़म में ही सही निकलें तो दिल से हसरतें शुक्रिया यादों का इस फ़न का तिरी तस्वीर का तुम इसे दीवानगी समझो कि अब सादा-दिली मुंतज़िर है दिल तुम्हारी ही नज़र के तीर का दिल के जिस टुकड़े को दिल से चाहता था 'सरफ़राज़' एक दस्तावेज़ है अब ग़ैर की जागीर का