बस-कि ख़ुश-रंग निगाहों को उठा शेर सुना आ मिरे मुतरिब-ए-शब रक़्स में आ शेर सुना ऐ कि तरतीब-ओ-तअ'य्युन में छुपी बाद-ए-शिमाल ऐ ख़ुनुक शाम की मानूस हवा शेर सुना है ये तशरीह-तलब रंग-ए-चमन बू-ए-चमन शह्रज़ाद आज किसी बाग़ में आ शेर सुना हाए इस जिस्म में चढ़ता हुआ ख़्वाब-आवर इश्क़ है रग-ओ-पै में मचलता सा नशा शेर सुना उफ़ वो यख़-बस्ता सराबों में हरारत का फ़रेब ऐ फ़ुसूँ-लम्स ज़रा बर्फ़ हटा शेर सुना मैं कि इस झील किनारे पे भटकती हुई रात तू सहर-ख़ेज़ निगह होश-रुबा शेर सुना