बातों को मेरी छोड़िए जो आप को जची नहीं लेकिन ये दिल से पूछिए क्या दिल भी क़ीमती नहीं आदत बुरी तो जाएगी इक दिन तो जाएगी नहीं वो आदमी बुरा नहीं फ़ितरत अगर बुरी नहीं गुलशन के फूल फूल में किस की महक है ये बता नज़रों से तू छुपा मगर ख़ुशबू तेरी छुपी नहीं तू ने नज़र जो फेर ली साक़ी ये तेरा ज़र्फ़ है लेकिन ख़ुदा का शुक्र है साग़र मिरा तही नहीं किस ने उड़ाई बात वो क्यूँकर उड़ाई सोचिए जो बात मेरे आप के वहम-ओ-गुमाँ में थी नहीं सोचो मरीज़-ए-इश्क़ का उस वक़्त हाल क्या हुआ जब चारागर ने ये कहा उम्मीद-ए-ज़िंदगी नहीं तारीख़ का वरक़ वरक़ शाहिद है इस उसूल का जब तक न जागे आदमी क़िस्मत भी जागती नहीं चलने दिया न दो क़दम मंज़िल क़रीब आ गई बख़्त-ए-रसा की बात है 'मुख़्लिस' हँसी हुई नहीं